Latest news
मुख्यमंत्री की टेढ़ी नजर से खुल गयी उत्तराखण्ड की बंद सड़कें उत्तराखण्ड से जल्द खुलेगा कैलाश यात्रा का रास्ता राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण में त्वरित होगा शिकायतों का निस्तारण गढ़ी कैंट में प्रदेश के सबसे बड़े सामुदायिक भवन का 15 जनवरी को किया जाएगा लोकार्पण ऊर्जा निगम मुख्यालय पर रीजनल पार्टी ने किया प्रदर्शन सभी पुराणों ने गौ को माता का सम्मान दियाः ग़ोपाल मणि महाराज स्पीकर ने विकास कार्यों को समय पर पूरा करने के दिए निर्देश खड़गे ने पत्र गलत पते पर भेजा, राहुल को समझाते तो पत्र लिखने की नौबत नहीं आतीः महेंद्र भट्ट मंत्री गणेश जोशी ने सैनिक मनीष थापा को श्रद्धांजलि अर्पित की उत्तराखंड के चार गांवों को मिलेगा सर्वश्रेष्ठ पर्यटन ग्राम पुरस्कार
Friday, September 20, 2024
Homeउत्तराखण्डधरने पर बैठे कर्मचारियों ने ऋतु खंडूड़ी पर लगाया भेदभावपूर्ण कार्रवाई का...

धरने पर बैठे कर्मचारियों ने ऋतु खंडूड़ी पर लगाया भेदभावपूर्ण कार्रवाई का आरोप  

देहरादून: विधानसभा के बाहर धरने पर बैठे बर्खास्त कर्मचारियों और पुलिस के बीच तीखी झड़प हो गई। पुलिस कर्मचारियों को जबरन धरने से उठाने लग गई तभी कर्मचारी विरोध करने लगे। इस दौरान पुलिस ने दो महिला कर्मचारियों को गिरफ्तार कर लिया। 

विधानसभा सचिवालय से बर्खास्त कर्मचारियों का विधानसभा के पास बेमियादी धरना बुधवार को दूसरे दिन भी जारी रहा। धरने पर बैठे कर्मचारियों ने विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी पर भेदभावपूर्ण कार्रवाई का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि जब सब नियुक्तियां अवैध हैं तो कार्रवाई कुछ कर्मचारियों पर ही क्यों की गई।

बर्खास्त कर्मचारियों ने कहा कि विधानसभा सचिवालय में वर्ष 2001 से लेकर 2021 तक की सभी नियुक्तियां एक ही पैटर्न पर की गई  हैं। हाईकोर्ट में दिए अपने शपथ पत्र में विधानसभा अध्यक्ष ने बताया है कि राज्य निर्माण के बाद से अब तक की सभी नियुक्तियां अवैध हैं, लेकिन उनकी ओर से कार्रवाई केवल 2016 के बाद नियुक्त कर्मचारियों पर ही की गई है। कर्मचारियों ने कहा कि 2001 से 2015 के बीच अवैध रूप से नियुक्त कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त न की गईं तो इसके विरोध में परिजनों सहित उग्र आंदोलन को बाध्य होंगे।

उनका कहना है कि कोटिया कमेटी की महज 20 दिन की जांच के बाद 2016 के बाद नियुक्त कर्मचारियों की नियुक्तियां रद्द कर दी गईं, जबकि इससे पहले के कर्मचारियों को विधिक राय के नाम पर क्लीन चिट दे दी गई। उन्होंने कहा कि पांच दिन के भीतर यदि कोई सकारात्मक कार्रवाई न हुई तो इसके विरोध में आंदोलन तेज करने को बाध्य होंगे।  

RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments