देहरादून। करवाचैथ जहां पति पत्नी में अटूट विश्वास का एहसास कराता हैं वही एक दूसरे को मजबूत रिश्ते की डोर में रखती हैं। करवाचैथ व्रत पर पर्यावरणविद् वृक्षमित्र डॉ त्रिलोक चंद्र सोनी ने अपनी पत्नी किरन सोनी संग रायपुर दुर्गा मंदिर में विधि विधान से पूजा अर्चना कर पण्डित राजेश कनाल के गरिमामय उपस्थित में देववृक्ष रुद्राक्ष के पौधा का रोपण किया।
वृक्षमित्र डॉ सोनी ने कहा करवाचैथ दो शब्दों से मिलकर बना है करवा यानी मिट्टी का बर्तन चैथ यानी चतुर्थी। चतुर्थी के दिन मिट्टी के बर्तन में पूजा अर्चना कर पति के दीर्घायु व स्वास्थ्य की कामना की जाती हैं इसलिए इसे करवाचैथ का व्रत कहते है। इस दिन महिलाएं पूरे दिन व्रत व निर्जल व्रत रखते हैं सूर्यास्त से पहले करवा की पूजा करती हैं और चाँद आते ही चाँद की पूजा कर पति के हाथों पानी पीकर अपना व्रत तोड़ते हैं और दोनों एक दूसरे के सुख दुःख में साथ निभाने व खुशहाल जीवन जीने का संकल्प लेते हैं। किरन सोनी कहती हैं पति ही पत्नी का स्वाभिमान हैं शुहागन अपने पति के लिए बन सँवरती हैं। मेहंदी सौभाग्य का प्रतीक माना जाता हैं हमें अपने सात फेरों का बचन को ध्यान में रखते हुए पति धर्म को निभाना चाहिए। प0 राजेश कनाल कहते हैं करवाचै शुहागनियों का त्योहार हैं पति पत्नियों को इस पवित्र बन्धन को निभाना चाहिए। आज हमारे दुर्गा मंदिर में वृक्षमित्र डॉ त्रिलोक चंद्र सोनी अपने पत्नी किरन सोनी के साथ आये और उन्होंनेे मुझे एक पौधा उपहार में दिया तथा मंदिर परिसर में देववृक्ष रुद्राक्ष के पौधो का रोपण किया। वृक्षारोपण में रमेश चंद्र डिमरी, धनवीर, वंशिता डिमरी आदि उपस्थित थे।
पति-पत्नी के मजबूत रिश्ते, प्यार व विश्वास का प्रतीक है करवाचैथः डॉ सोनी
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