देहरादून। पंचायतीराज विभाग उत्तराखण्ड द्वारा संविधान के 73 में संशोधन के अन्तर्गत त्रिस्तरीय पंचायतीराज व्यवस्था को सशक्त बनाये जाने के उद्देश्य से पंचायतों को प्रशासनिक, कार्यकारी एवं वित्तीय अधिकारों के संक्रमण के दृष्टिगत 29 विषयों के हस्तांतरण को लेकर पंचायतीराज मंत्री सतपाल महाराज की अध्यक्षता में आहूत सेमीनार के दूसरे दिन भी गहन मंथन किया गया। प्रदेश के पंचायतीराज मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि संविधान के 73 में संशोधन के अन्तर्गत त्रिस्तरीय पंचायतीराज व्यवस्था को सशक्त करने के लिए 29 विषयों को पंचायतों को हस्तांतरित करने के लिए सभी विभागों को कहा गया है। उन्होंने कहा कि अक्सर देखा जाता है कि विकास के एक ही कार्य को सांसद, विधायक या जिला पंचायत अध्यक्ष, ब्लाक प्रमुख और ग्राम प्रधान करते हैं। कार्य में किसी प्रकार का दोहराव न हो इसके लिए कार्यों का विभाजन आवश्यक है। श्री महाराज ने कहा कि पंचायतों को 29 विषयों के हस्तांतरण के तहत सभी विभागों को मैपिंग के निर्देश दिए गए हैं। इस बात का गहनता से विवेचन किया जा रहा है। पंचायत स्तर पर विकास कार्यों को करने के लिए (तीन एफ) तीन कामों फंड, फंगशन और फंग्शनरी पर विचार करने के साथ-साथ आगे काम किया जायेगा।
सुभाष रोड़ स्थित एक होटल में पंचायतीराज विभाग उत्तराखण्ड द्वारा संविधान के 73 में संशोधन के अन्तर्गत त्रिस्तरीय पंचायतीराज व्यवस्था को सशक्त करने के लिए चल रहे सेमीनार के दूसरे दिन गुरुवार को हैदराबाद संस्थान के वरिष्ठ अधिकारी डॉ० अंजन कुमार भांजा एवं मोहम्मद तकुउद्दीन कंसलटेन्ट द्वारा संविधान के 73 वे संशोधन के द्वारा गर्वनेन्स की तीसरी कड़ी को सशक्त बनाये जाने के उद्देश्य से ग्रामीण क्षेत्र में स्व-शासन स्थापित करने, सत्ता के साथ-साथ कार्य, अधिकार तथा स्टॉफ और वित्तीय संसाधन प्रयुक्त करने के महत्वपूर्ण मामले को चरणबद्ध रूप में पंचायतीराज संस्थाओं को संक्रमित करने अर्थात विकास प्रशासन पूर्णतया लोकोन्मुखी और प्रजातंत्र की न्यूनतम इकाई वास्तव में नियोजन, क्रियान्वयन और रेग्यूलेशन की प्रथम कड़ी रहे, इस विचार मंथन में विषयवार गंभीरता के साथ प्रकाश डाला और विभागों के स्तर से भी सुझावों की अपेक्षा की गई।
पंचायतों को 29 विषयों के हस्तांतरण को लेकर हुआ मंथन
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