Latest news
टाइम्स हायर एजुकेशन इनॉगरल इंटरडिसिप्लिनरी साइंस रैंकिंग रू कीट ने भारत में चौथा सर्वश्रेष्ठ और दुनि... एफआरआई में पांच दिवसीय अल्प अवधि प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन सीएम ने संविधान दिवस की शुभकामनाएं दी जनसुनवाई कार्यक्रम में डीएम ने सुनीं जनशिकायतें, 95 शिकायतें हुई दर्ज कॉलेज से पासआउट 50 चिकित्सकों का पीजी कोर्स के लिये हुआ चयन राज्यपाल ने दिल्ली में नवनिर्मित उत्तराखण्ड राज्य अतिथि गृह का भ्रमण किया आईपीएस दीपम सेठ बने उत्तराखंड के नए पुलिस महानिदेशक आरडीएसएस योजना के तहत आरटी-डीएएस प्रणाली से होगी रियल टाइम में सब स्टेशनों की निगरानी मंत्री सुबोध उनियाल ने मालसी में देहरादून जू मालसी का अवलोकन किया उपमन्यु चटर्जी की पुस्तक लोरेंजो सर्चेज फॉर द मीनिंग ऑफ लाइफ ने साहित्य के लिए 7वां जेसीबी पुरस्कार ...

[t4b-ticker]

Tuesday, November 26, 2024
Homeउत्तराखण्डनई शिक्षा नीति के साथ होगी,पारदर्शी स्थानांतरण नीति भी तैयार: शिक्षा मंत्री

नई शिक्षा नीति के साथ होगी,पारदर्शी स्थानांतरण नीति भी तैयार: शिक्षा मंत्री

देहरादून: राज्य के शिक्षा मंत्री डा धन सिंह रावत ने सूबे में नई शिक्षा नीति को जल्द अंतिम रूप दिये जाने की बात कही है। कहा राष्ट्रीय शिक्षा नीति से जोड़कर उत्तराखंड के लिए अलग से नीति तैयार की जा रही है। जिसमें प्राथमिक से लेकर माध्यमिक तक सरकारी विद्यालयों में शैक्षिक वातावरण सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता रहेगी। जिसे शिक्षा विभाग ने अपने 100 दिनी एजेंडे में शामिल किया है। विद्यालयों में शिक्षकों के खाली पद हर साल भरने और शिक्षकों के स्थानांतरण की पारदर्शी व्यवस्था भी इस नीति का हिस्सा होंगे।

शिक्षा मंत्री ने बताया कि, प्रदेश में मानव संसाधन और बजटीय व्यवस्था के अनुसार शिक्षा सबसे बड़ा विभाग है। हालांकि यह भी सच है कि बजट का बड़ा हिस्सा शिक्षकों के वेतन-भत्तों पर ही खर्च हो रहा है। शिक्षा में गुणात्मक सुधार की आवश्यकता लंबे समय से महसूस तो की जा रही है, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया है।

डा. धन सिंह रावत ने बताया कि विद्यालयों में शैक्षिक वातावरण को केंद्र में रखकर नई नीति तैयार की जा रही है। नीति में सभी मौजूदा चुनौतियों को ध्यान में रखा जा रहा है। 100 दिनी कार्ययोजना इसी नीति का महत्वपूर्ण भाग होगी, ताकि हर शैक्षिक सत्र में निर्धारित लक्ष्यों को पूरा किया जा सके।

डा रावत ने कहा कि विद्यालयों में पठन-पाठन में सबसे बड़ी बाधा शिक्षकों की कमी के रूप में सामने आती है। आगामी चार महीने के भीतर प्राथमिक से लेकर माध्यमिक में एलटी व प्रवक्ता के रिक्त पदों को भरा जाएगा। हर साल रिक्त होने वाले पदों को देखते हुए नियुक्तियों की व्यवस्था भी बनाई जाएगी।

शिक्षकों की कमी से शैक्षिक वातावरण पर असर पड़ रहा है। घटती छात्रसंख्या का यह बड़ा कारण भी है। किसी विद्यालय में शिक्षक कम हैं तो कहीं काफी अधिक हैं। विषयवार आवश्यकता को ध्यान में रखकर शिक्षकों की तैनाती को प्राथमिकता दी जाएगी।

साथ ही शिक्षकों के लिए पारदर्शी स्थानांतरण नीति भी तैयार की जाएगी। इसके लिए केंद्रीय विद्यालय और हरियाणा में लागू व्यवस्था का अध्ययन किया जा रहा है। साथ में उत्तराखंड की विषम भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखकर यह नीति तैयार की जाएगी। यह नीति जितना बेहतर और कारगर होगी, शिक्षकों में असंतोष को दूर करने में उतनी ही मदद मिलेगी। शिक्षक बढ़े मनोबल के साथ विद्यालयों की दशा और दिशा सुधारने में मदद करेंगे।

उन्होंने कहा कि 100 दिनी कार्ययोजना में विद्यालयों में भौतिक संसाधन उपलब्ध कराने पर विशेष जोर रहेगा। फर्नीचर, पेयजल, बिजली की समस्या दूर की जाएंगी। पुस्तकालयों के लिए आर्थिक मदद मिलेगी। खेलकूद को भी विद्यालयों को धन के लिए तरसना नहीं पड़ेगा। इस संबंध में विभागीय कार्ययोजना को अंतिम रूप दिया जा रहा है। आवश्यकता के अनुसार केंद्र सरकार से भी सहायता ली जाएगी।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments