Latest news
शुक्रवार 2 मई को खुलेंगे केदारनाथ धाम के कपाट जनता दरबार में 119 शिकायत दर्ज, अधिकांश का मौके पर समाधान चारधाम यात्रा से पहले धामी सरकार की बड़ी सौगात, प्रदेश के अस्पतालों को मिले 43 विशेषज्ञ डॉक्टर सीएम पुष्कर सिंह धामी ने रेल मंत्री से की मुलाकात मुख्य सचिव ने यातायात व्यवस्था का लेकर अधिकारियों को दिए जरूरी दिशा-निर्देश डीएम प्रशासनिक अमले संग जमे रहे ट्राजिस्ट कैम्प में देखी व्यवस्थाएं, दिए निर्देश सुरक्षित, सुव्यवस्थित और सुगम चारधाम यात्रा के लिए हरसंभव प्रयास किए गएः सीएम जिला प्रशासन की टीम ने कूड़ा बिनते बच्चे को किया रेस्क्यू लचर कार्यप्रणाली से बाज आने की सख्त हिदायत, चेताया दर्ज कर दी जाएगी प्रतिकूल प्रविष्टि, ठेकेदारों पर... जीवन शैली का हिस्सा बनाएं स्पोर्ट्सः रेखा आर्या

[t4b-ticker]

Tuesday, April 29, 2025
Homeउत्तराखण्डउत्तराखंड की 91 वर्षीय राधा बहन भट्ट और ह्यू व कोलिन गैंटजर...

उत्तराखंड की 91 वर्षीय राधा बहन भट्ट और ह्यू व कोलिन गैंटजर को मिलेगा पद्मश्री

देहरादून। गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पद्म पुरस्कारों का ऐलान कर दिया गया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शनिवार रात पद्म पुरस्कारों की घोषणा की। उत्तराखंड की 91 वर्षीय राधा बहन भट्ट और उत्तराखंड के ह्यू और कोलिन गैंटजर (मरणोपरांत) को साहित्य और शिक्षा – पत्रकारिता में उनके अनुकरणीय कार्य के लिए पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा।
18 साल की उम्र में घर छोड़कर समाजसेवा में जीवन अर्पित करने वाली राधा बहन भट्ट को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पद्म पुरस्कारों के लिए जारी सूची में उनका नाम शामिल किया गया है। पुरस्कार के लिए उनका चयन होना जिले के लिए गौरव की बात है। राधा बहन का जन्म 16 अक्तूबर 1933 में अल्मोड़ा जिले के धुरका गांव में कमलापति और रेवती भट्ट के घर में हुआ था। वह युवावस्था में घर छोड़ कर वह कौसानी आ गईं थीं। यहां उन्होंने बालिका शिक्षा देने और उन्हें जीवन जीने की कला सिखाने पर कार्य किया। वर्ष 1957 में भूदान आंदोलन के साथ उनकी पदयात्रा शुरू हुई। बालिका शिक्षा, पर्यावरण संरक्षण, जल, जंगल, जमीन, ग्राम स्वराज, शराब आंदोलन, युवा महिला सशक्तीकरण, सर्वाेदय आंदोलनों में उन्होंने बढ़ चढ़कर भागीदारी की। वह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की शिष्या सरला बहन के कार्यों से प्रभावित होकर उनकी अनुयायी बनीं। उन्होंने वर्ष 975 में सरला बहन के 75वें जन्मदिन पर पद यात्रा शुरू की।
75 दिनों की लंबी यात्रा में वन संरक्षण, चिपको आंदोलन, शराब विरोध, ग्राम स्वराज की स्थापना के लिए लोगों को जागरूक किया। 1976 में देवीधूरा ब्लॉक से 65 गांवों की पदयात्रा की। इस दौरान उन्होंने 40 बालवाड़ी, 30 महिला संगठन, 12 गांव के लोगों को कृषि के लिए प्रेरित किया। 1980 में उन्होंने खनन के खिलाफ आवाज उठाई। 2006 से 2010 तक प्रदेश के हिमालय और नदियों का सर्वेक्षण करते हुए हाइड्रो पावर परियोजनाओं का विरोध किया। समाजसेवा के लिए उन्हें कई पुरस्कार भी मिल चुके हैं।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments