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Friday, September 20, 2024
Homeराजनीतिअनुकृति गुसाईं रावत ने लैंसडाउन विधायक पर उठाए सवाल, सन्यास लेने की दी सलाह

अनुकृति गुसाईं रावत ने लैंसडाउन विधायक पर उठाए सवाल, सन्यास लेने की दी सलाह

देहरादून: कांग्रेस नेत्री अनुकृति गुसाईं रावत ने लैंसडाउन विधायक दिलीप रावत को राजनीति से संन्यास लेने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि लैंसडाउन में दस साल से दिलीप रावत भाजपा के विधायक हैं, लेकिन लैंसडाउन का समग्र विकास नहीं हो पाया है।

लैंसडाउन विधानसभा क्षेत्र का विकास न होने पर कांग्रेस नेत्री अनुकृति गुसाईं रावत ने क्षेत्रीय विधायक दिलीप रावत पर हमला बोला है I उन्होंने कहा कि लैंसडाउन में दस साल से दिलीप रावत भाजपा के विधायक हैं, लेकिन लैंसडाउन का समग्र विकास नहीं हो पाया है। क्षेत्रीय विधायक दिलीप रावत लैंसडाउन को पयर्टन नगरी बनाने व युवाओं को रोजगार उपलब्ध करवाने में विफल रहे हैं।

उन्होंने कहा कि देश में विगत छह सालों से भाजपा सरकार सत्ता में काबिज है। दिलीप रावत स्वयं दस साल से क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। लेकिन, अब वे अपनी ही सरकार पर सवाल खड़ा कर रहे हैं व विकास का रोना रो रहे हैं। कहा कि अब दिलीप रावत को राजनीति से संन्यास लेकर घर बैठ जाना चाहिए।

लैंसडाउन के लिए सरकार के पास नहीं है बजट

रविवार को वार्ता के दौरान विधायक दिलीप सिंह रावत ने कहा कि लैंसडाउन विधानसभा की जनता ने उन्हें इसलिए विधायक चुना है, ताकि विधानसभा में विकास कार्य गति पकड़ सकें, लेकिन लगता है कि लैंसडाउन विधानसभा क्षेत्र में विकास कार्यों के लिए सरकार के पास बजट नहीं है।

उन्होंने कहा कि उन्होंने अपनी विधानसभा में पर्यटन विकास के लिए तीन योजनाओं के प्रस्ताव शासन में भेजे। लंबा समय बीत गया, लेकिन, आज तक उन योजनाओं के लिए बजट स्वीकृत नहीं हुआ है। कहा कि प्रदेश के पर्यटन मंत्री राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए तमाम घोषणाएं करते हैं, लेकिन पर्यटन योजनाओं के लिए बजट अवमुक्त न होना इन घोषणाओं पर सवालिया निशान लगाता है।

उन्होंने कहा कि उनका प्रयास विधानसभा क्षेत्र का बेहतर विकास का है, लेकिन उन्हें सहयोग नहीं मिल रहा। अन्य विभागों के कार्य हो रहे हैं, लेकिन पर्यटन की दिशा में कोई कार्य नहीं किया जा रहा है। क्षेत्र की पर्यटन योजनाओं को लेकर वे मुख्यमंत्री से भी वार्ता कर चुके हैं। मुख्यमंत्री भी पर्यटन विभाग के अधिकारियों को जरूरी दिशा-निर्देश दे चुके हैं। बावजूद इसके योजनाओं के लिए धन स्वीकृत न होना गंभीर विषय है।

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