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Saturday, September 21, 2024
Homeउत्तराखण्डएनसीईआरटी पाठ्यक्रम में शामिल होगी नई पुस्तक हमारी विरासत

एनसीईआरटी पाठ्यक्रम में शामिल होगी नई पुस्तक हमारी विरासत

देहरादून। स्टार्टअप रिसर्च एंड ट्रेनिंग काउंसिल (एनसीईआरटी) ने कार्यशाला उच्च स्तरीय सांख्यिकी समिति की ओर से प्रदेश में लागू किया जाएगा। इसके लिए निर्देशक एससीएटी स्टार्टअप को निर्देश दे दिए गए हैं। इसके अलावा राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के संप्रदाय के अंतर्गत प्रदेश के राष्ट्रीय पाठ्यक्रम में ‘हमारी विरासत’ नामक पुस्तक शामिल है, जो पहले चरण में कक्षा-6 से कक्षा-8 तक लागू होगी। पुस्तक के संकलन की जिम्मेदारी राज्यस्टार्ट एवं प्रशिक्षण संस्थान को दी गई है। इसके लिए निदेशक एससीए होटल की सचिवालय में पाँचवाँ सांस्कृतिक समिति समिति कर दी गई है
सेंचुरी के विद्यालयी शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने अपनी राजस्थान यात्रा के दौरान मीडिया को जारी एक बयान में बताया कि एनसीई आरटीओ की समिति की ओर से प्रदेश की अनाधिकृत रूप से आवेदन किया जाएगा। जिसके निर्देश राज्य स्टार्टअप एवं प्रशिक्षण संस्थान के निदेशक को दे दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि एनसीएआई आरटीआई कमेटी ने ‘इंडिया’ शब्द की जगह ‘भारत’ लिखा है। इसके अलावा समिति ने सभी राष्ट्रों में भारती ज्ञान प्रणाली की भी शुरूआत की है। डॉ. रावत ने बताया कि राज्य सरकार ने सबसे पहले प्रदेश के नामचीन राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत भारतीय ज्ञान परंपरा को शामिल करने का निर्णय लिया है। जिसके क्रम में प्रदेश में संचालित पुस्तकालयों के साथ ‘हमारी विरासत’ नामक पुस्तक को शामिल किया जाएगा। इस पुस्तक के संकलन की जिम्मेदारी राज्य स्टार्टअप एवं प्रशिक्षण संस्थान को दी गई है। इसके निर्देशन में एससीई रिटॉर्ट विंद्य गर्ब्याल के नेतृत्व में पांच सदस्यीय समिति का भी गठन किया गया है। हमारी विरासत पुस्तकों के शीघ्र संकलन के लिए सभी डायटों के दस्तावेजों को अपने-अपने जिलों से एकत्रित कर स्कैन किए गए संसाधनों को उपलब्ध कराने की बात कही गई है।
मंत्रालय ने बताया कि हमारी विरासत पुस्तक प्रथम चरण में कक्षा-6 से कक्षा-8 तक के पाठ्यक्रम में लागू हो जाएगी। जिसमें राज्य के पौराणिक, एतिहासिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक महत्व की जानकारी उपलब्ध है, इसके अलावा प्रदेश की महान विभूतियाँ, वीरांगनाएँ, सैन्य भूमि से जुड़े सैनानियाँ, पर्यावरण, समुंद्र, सागरों, विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व, तीर्थस्थल, पंच प्रयागों ऐतिहासिक अभिलेखों एवं इतिहासों की जानकारी भी पुस्तक में शामिल रहे ताकि छात्र-छात्राओं को प्रदेश के गौरवमयी इतिहास एवं संस्कृति की सही जानकारी मिल सके।

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