देहरादून। राज्य के सभी 13 जिलों में रह रहे अनुसूचित जाति एव जनजाति समुदाय की मूल भूत समस्याओं का वैज्ञानिक अनुप्रयोगों के माध्यम से समाधान करने हेतु उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद में एक बैठक का आयोजन किया गया। जिसका मुख्य विषय उत्तराखंड के अनुसूचित जाति एव जनजाति समुदाय की आजीविका में बढो़तरी में मीडिया की भूमिका रहा।
इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य अनुसूचित जाति एव जनजाति समुदायों को कौशल विकास एवं उद्यमिता प्रशिक्षण के माध्यम से सशक्त बनाना है। इस बैठक के दौरान महानिदेशक यूकॉस्ट प्रो दुर्गेश पंत ने कहा कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग भारत सरकार के सहयोग से वैज्ञानिक अनुप्रयोगों के माध्यम से अनुसूचित जाति एवं जन जाति समुदायों की आजीविका में सुधार हेतु परिषद् द्वारा प्रयास किये जा रहे हैं। उन्होंने बताया की अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदाय के लोगों के जीवन में सुधार के लिए मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका है। इस बैठक के दौरान डा. मनमोहन सिंह रावत वैज्ञानिक अधिकारी द्वारा परियोजना का विस्तृत प्रस्तुतीकरण किया गया जिसमे पारम्परिक ज्ञान प्रणाली आजीविका सुधार एवं सुदूर संवेदन प्रणाली के माध्यम से संसाधनों का मानचित्रीकरण जैसे विषयों को बताया गया। इस दौरान मीडिया के प्रतिनिधि, विषय विशेषज्ञ, वैज्ञानिक एवं शोधार्थी उपस्थित थे। इस अवसर पर मीडिया के प्रतिनिधियों द्वारा अपने विचार रखे गए। इस बैठक में मुख्य अतिथि विधायक गंगोलीहाट फकीर राम टम्टा उपस्थित थे। विधायक गंगोलीहाट फकीर राम टम्टा ने कहा कि हमें हिमाचल की तर्ज पर उत्तराखण्ड राज्य में भी उद्यानकी, कृषि, बागवानी , फूलों की खेती जैसे रोजगार परक उद्यमों को अपनाकर रोजगार के साधन विकसित किये जा सकते हैं। डॉ जी एस रावत, विशिष्ठ वैज्ञानिक ने कहा कि उत्तराखण्ड की अनुसूचित जाति एवं जन जाति के पारम्परिक ज्ञान प्रणाली का दस्तावेजीकरण करना अत्यंत आवश्यक है। अमित पोखरियाल, कार्यक्रम समन्वयक ने यूकॉस्ट के कार्यकलापों की विस्तृत जानकारी दी. इस दौरान डॉ पूनम गुप्ता, डॉ अजय त्यागी, संतोष रावत, सुरेंद्र मनराल आदि उपस्थित थे।
अनुसूचित जाति एव जनजाति समुदायों को कौशल विकास के माध्यम से सशक्त बनाने पर दिया जोर
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