देहरादून: डॉ. श्रेया शर्मा, कंसलटेंट, एंडोक्राइनोलॉजी और डायबिटीज, बाल चिकित्सा (पीईडी) एंडोक्राइनोलॉजी, मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, देहरादून द्वारा डायबिटीज के बारे मे जानकारी देते हुए कहा डायबिटीज आजकल एक आम बीमारी हो चुकी है और इसे पूरी तरीके से ठीक करना संभव नहीं है लेकिन कुछ उपायों से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। कुछ वैज्ञानिक उपायों से ग्लूकोज स्तर को बेहतर और इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार किया जा सकता है। यहां हम डायबिटीज को नियंत्रित और सुधारने के लिए वैज्ञानिक आधार पर सुझाए गए कुछ प्रमुख उपायों पर चर्चा कर रहे हैं।
1. कम कैलोरी और संतुलित आहार
एक कम कैलोरी आहार का सेवन करने से शरीर में वसा कम होती है, जो कि इंसुलिन संवेदनशीलता को बढ़ाने में मदद कर सकती है। कई अध्ययनों में पाया गया है कि एक संतुलित और पोषक आहार जिसमें कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले खाद्य पदार्थ जैसे साबुत अनाज, फल, सब्जियां और उच्च फाइबर वाले आहार शामिल हों, ब्लड शुगर लेवल को स्थिर रखने में सहायक होते हैं। उदाहरण के लिए, “The DiRECT Trial (The Diabetes Remission Clinical Trial)” के अनुसार, कम कैलोरी वाले डाइट प्लान ने टाइप 2 डायबिटीज के कई मामलों में मरीजों को स्वस्थ ब्लड शुगर लेवल बनाए रखने में सहायता की है
2. नियमित शारीरिक व्यायाम
नियमित शारीरिक गतिविधि जैसे कि पैदल चलना, योग, तैराकी या जिम में कसरत करना, मांसपेशियों में ग्लूकोज की संवेदनशीलता को बढ़ाता है। वैज्ञानिक अध्ययन दिखाते हैं कि एरोबिक व्यायाम और प्रतिरोधक व्यायाम दोनों ही इंसुलिन के प्रति शरीर की प्रतिक्रिया को सुधारने में मदद करते हैं। “Annals of Internal Medicine” के एक अध्ययन में पाया गया कि हर दिन 150 मिनट का मध्यम व्यायाम ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में मददगार साबित हो सकता है
3. वजन प्रबंधन
वजन घटाना टाइप 2 डायबिटीज में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कारक माना गया है। “Diabetes Care” जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में यह बताया गया कि वजन में 5-10% की कमी से ब्लड शुगर नियंत्रण और इंसुलिन संवेदनशीलता में उल्लेखनीय सुधार होता है| मेटाबोलिक स्वास्थ्य के लिए पेट की चर्बी कम करना विशेष रूप से लाभकारी साबित होता है, क्योंकि आंत के आसपास की वसा अक्सर इंसुलिन प्रतिरोध से जुड़ी होती है।
4. मेडिटेशन और तनाव प्रबंधन
तनाव शरीर में हार्मोनल असंतुलन उत्पन्न कर सकता है, जो कि ब्लड शुगर को प्रभावित कर सकता है।”Journal of Psychosomatic Research” में प्रकाशित एक अध्ययन ने यह सुझाव दिया है कि मेडिटेशन और तनाव प्रबंधन तकनीक जैसे प्राणायाम और योग से मानसिक स्वास्थ्य में सुधार के साथ ब्लड शुगर के स्तर पर भी सकारात्मक प्रभाव हो सकता है|
5. नींद की गुणवत्ता में सुधार
नींद की कमी से शरीर में कोर्टिसोल हार्मोन का स्तर बढ़ता है, जो इंसुलिन के प्रति शरीर की संवेदनशीलता को कम करता है। “Sleep” जर्नल के अध्ययन के अनुसार, पर्याप्त नींद और नियमित नींद का चक्र शरीर को ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म को संतुलित बनाए रखने में सहायक हो सकता है। प्रति रात 7-8 घंटे की गुणवत्तापूर्ण नींद लेना डायबिटीज की स्थिति को नियंत्रण में रखने में मदद कर सकता है।
6. इंटरमिटेंट फास्टिंग और समयबद्ध भोजन
इंटरमिटेंट फास्टिंग, या समयबद्ध भोजन, शरीर को कैलोरी की संतुलित खपत में मदद करता है, और साथ ही यह इंसुलिन संवेदनशीलता को बढ़ाता है। “Cell Metabolism” जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, इंटरमिटेंट फास्टिंग से वजन कम होने के साथ-साथ इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार होता है, जिससे डायबिटीज के लक्षणों में भी कमी आ सकती है
7. औषधीय और चिकित्सीय हस्तक्षेप
दवाओं के उचित प्रयोग, जैसे कि मेटफॉर्मिन, और नए-नए एंटी-डायबिटिक एजेंट्स का उपयोग, डॉक्टर की सलाह के अनुसार ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित कर सकता है। कुछ मामलों में, बैरिएट्रिक सर्जरी को भी डायबिटीज के सुधार के लिए कारगर माना गया है। “The New England Journal of Medicine” में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि बैरिएट्रिक सर्जरी के बाद टाइप 2 डायबिटीज के रोगियों में ग्लूकोज लेवल पर सकारात्मक प्रभाव देखा गया है।
निष्कर्ष:
इन वैज्ञानिक उपायों के आधार पर, जीवनशैली में बदलाव और आहार पर ध्यान देकर टाइप 2 डायबिटीज को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। हालांकि, यह ध्यान रखना जरूरी है कि डायबिटीज एक क्रॉनिक बीमारी है और इसे पूरी तरह से खत्म कर पाना हमेशा संभव नहीं होता है। इसलिए, डॉक्टर की सलाह और नियमित मॉनिटरिंग बेहद जरूरी है।