देहरादून। विरासत साधना व सांस्कृतिक संध्या में आज बुधवार का दिन भी श्रोताओं, दर्शकों के लिए बहुत खूब एवं आकर्षित करने वाला रहा। सुबह स्कूली बच्चों द्वारा की गई प्रस्तुतियों की महफिल में बच्चों ने अपना रंग जमाया। समीर तिवारी ने राग भैरव में संगीत सुरों से कार्यक्रम की शुरूआत करते हुए शास्त्रीय संगीत की लय बनाकर श्रोताओं की प्रशंसा बटोरी। टचवुड स्कूल की छात्रा विधि चौधरी ने राग जानपुरी में शानदार प्रस्तुति दी। इसके साथ ही कर्नल ब्राउन स्कूल की पार्थवी चौहान, देवांश अवस्थी ने राग मालगोन की प्रस्तुति दी। यूनिवर्सल एकेडमी की नन्हीं बच्ची नंदिनी सिंह की प्रस्तुति आकर्षण का केंद्र बनी रही प् एशियन स्कूल की काशमी नेगी, द टॉम ब्रिंग स्कूल की किमाया सिंह ने राग नंदिनी में तराना प्रस्तुत किया। सुबह की इस सांस्कृतिक साधना में नयन तारा सिंह, सायगा जैन, आयुषमान शुक्ला, शौर्य असवाल, सानवीर तोमर व आरिम कुमार ने भी मनमोहक शास्त्रीय गीतों के सुरों संगत देकर सांस्कृतिक विरासत की महफिल में चार चांद लगाए।
यूनिसन स्कूल ने रीच संस्था के सहयोग से प्रतिष्ठित नेवी बैंड की प्रस्तुति के साथ ष्मनमोहक धुनष्की मेजबानी करते हुए सभी का दिल जीत लिया। स्कूल में ही आयोजित इस कार्यक्रम का उद्देश्य समुद्री इतिहास और भारतीय नौसेना की महत्वपूर्ण भूमिका का जश्न मनाना था प् मन को मोह लेने वाले इस समारोह की शुरुआत सेवानिवृत्त कमोडोर गौतम नेगी के प्रेरक उद्घाटन भाषण से हुई,जिन्होंने दिन के उत्सव की शुरुआत की। कार्यक्रम में सब लेफ्टिनेंट श्रेया जोशी ने समुद्री इतिहास और समुद्र के महत्व के बारे में जानकारी साझा की, जिसमें राष्ट्रीय विरासत में इसके महत्वपूर्ण योगदान पर जोर दिया गया। इसी श्रृंखला में सेवानिवृत्त कमोडोर मोनिका ने भी भारतीय नौसेना के भीतर आत्मनिर्भरता के महत्व पर चर्चा करने के लिए मंच संभाला। उन्होंने नौसेना की विविध भूमिकाओं, करियर के अवसरों, जहाजों पर जीवन और शामिल होने की प्रक्रियाओं, जिसमें एसएसबी साक्षात्कार और भारतीय राष्ट्रीय अकादमी, राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के माध्यम से मार्ग शामिल हैं, के बारे में विस्तार से बताया। कैप्टन कुकरेती ने दर्शकों को नौसेना बैंड से परिचित कराया तथा प्रदर्शन के लिए तैयार प्रतिभाशाली संगीतकारों का परिचय कराया। नौसेना के इस बैंड ने विविध प्रदर्शनों की सूची पेश की, जिसमें शामिल हैं जिसमें उदय दास(बांसुरी/सोप्रानो सैक्सोफोन),अमल जोस (शहनाई/गायन),रोशन थापा (शहनाई),रूपम रॉय (शहनाई),वरदान चौहान (शहनाई),विशाल (ऑल्टो सैक्सोफोन),संदीप दिगल (टेनर सैक्सोफोन),अरुण कुमार(बैसून/लीड गिटार), राहुल जोशी(फ्रेंच हॉर्न), यूकेके रेड्डी(कॉर्नेट), बी आनंदराज (कॉर्नेट), जॉन पॉल एडी (कॉर्नेट/गायन),मामूप्रीत सिंह(कॉर्नेट/कीबोर्ड), स्वप्निल छेत्री(टेनर ट्रॉम्बोन), भूपति ई(टेनर ट्रॉम्बोन/कीबोर्ड), एंथनी राफेल (यूफोनियम/ऑक्टा पैड), श्रीजीत वीआर(बास), वी प्रणव(बास),एसबी राणा मगर(बास),प्रिंस वर्गीस (पर्क्यूशन) शामिल है।
संगीत कार्यक्रम की शुरुआत पारंपरिक मंगल से हुई और इसमें नौसेना के मार्च, उत्तराखंड के लोकगीत और लोकप्रिय बॉलीवुड हिट शामिल रहे,जिसने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। तत्पश्चात यूनिसन स्कूल की प्रिंसिपल श्रीमती मोना खन्ना ने नौसेना अधिकारियों को गुलदस्ता भेंट किया और राष्ट्र के लिए उनकी सेवा और योगदान के लिए आभार व्यक्त करते हुए सभा को संबोधित किया। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।
अनोल चटर्जी ने रागेश्वरी के साथ अपने हिंदुस्तानी गायन की शुरुआत की, जिसमें उन्होंने एक श्बड़ा ख्यालश् के हिस्से के रूप में एक ताल में विलम्बित रचना प्रस्तुत की। उनके साथ हारमोनियम पर पंडित धर्मनाथ मिश्रा,तबले पर पंडित शुभ महाराज, जबकि तानपुरा पर सिद्धांत प्रुथी और नितिन शर्मा रहे। देश विदेश में विख्यात भारतीय शास्त्रीय संगीत की दुनिया के गायक अनोल चटर्जी ने अपने आकर्षक एवं अद्भुत गायन से लोगों का दिल जीत लिया और सभी को झूमने पर मजबूर कर दिया। अनोल चटर्जी एक बेहतरीन भारतीय शास्त्रीय गायक, एक संगीत प्रशिक्षक और संगीतकार हैं प् इस समय अनोल चटर्जी भारतीय शास्त्रीय गायन के क्षेत्र में एक उभरता हुआ नाम है। अनोल के संगीत का स्वाद मूल रूप से पटियाला घराने की शैली है, जिसे महान उस्ताद बड़े गुलाम अली खान साहब ने लोकप्रिय बनाया था, लेकिन अनोल ने किराना, जयपुर, आगरा बनारस आदि जैसी अन्य गायकी,शैलियों के बेहतरीन हिस्सों को शामिल करके अपनी खुद की एक आकर्षक और सुंदर शैली स्थापित की है प् संगीतमय माता-पिता मिहिर चटर्जी और मधुमिता चटर्जी के घर जन्मे अनोल की शुरुआती शिक्षा उनकी माँ और श्री बिश्वनाथ चौधरी से मिली। इसके तुरंत बाद यह स्वर्गीय अजीत कुमार चक्रवर्ती, श्रीमती चंदना चक्रवर्ती और श्री शांतनु भट्टाचार्य से क्रमिक रूप से जारी रही। उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित भारतीय गायक पद्मश्री पंडित अजय चक्रवर्ती का प्रत्यक्ष शिष्य बनने का सौभाग्य मिला और वे अभी भी उनके संरक्षण में प्रशिक्षण ले रहे हैं। अनोल आईटीसी संगीत अनुसंधान अकादमी, कोलकाता के पूर्व विद्वान हैं। ऑल इंडिया रेडियो, कोलकाता में ख़याल और राग प्रधान दोनों में एक स्थायी कलाकार भी हैं। वे आईसीसीआर के एक सूचीबद्ध कलाकार हैंप् उन्हें संस्कृति मंत्रालय से युवा कलाकारों के लिए राष्ट्रीय छात्रवृत्ति मिली है। उन्होंने संगीत नाटक अकादमी द्वारा आयोजित युवा प्रतिभा सम्मेलन में भी प्रस्तुति दी। वे प्रतिष्ठित डोवर लेन संगीत प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर रहे। वे 2003 से विदेश दौरे पर भी रहे। कई बार यूएसए, यूके, कनाडा और स्कॉटलैंड का दौरा कर चुके हैं। उन्होंने यूके के लीड्स कॉलेज ऑफ म्यूजिक से संबद्ध संगठन एसएए यूके में भारतीय संगीत सिखाने के लिए अतिथि कलाकार के रूप में काम किया है। अनोल पिछले दस वर्षों से प्रसिद्ध संगीत संस्थान श्रुतिनंदन में प्रतिभाशाली छात्रों को प्रशिक्षण दे रहे हैं। वह अंतरराष्ट्रीय ऑनलाइन संगीत कार्यशालाएं आयोजित करते हैं, जिनमें 20 देशों के संगीत प्रेमी नियमित रूप से शामिल होते हैं। उनके पहले एल्बम न्यू सिग्नेचर का उद्घाटन तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन ने किया था। वह आदित्य बिड़ला कला किरण पुरस्कार, भारत सरकार द्वारा युवा कलाकारों के लिए राष्ट्रीय छात्रवृत्ति, आकाशवाणी के ष्एष् ग्रेड कलाकार के नाम से भी विख्यात हैं। सांस्कृतिक संध्या का विधिवत शुभारंभ दीप प्रज्वलित कर उत्तराखंड के प्रमुख वन संरक्षक हॉफ श्री धनंजय मोहन ने किया प् मुख्य अतिथि के साथ दीप प्रज्वलन में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ संध्या भटनागर, रीजनल प्रोविडेंट फंड के कमिश्नर विश्वजीत सागर मौजूद रहे।
विरासत में विख्यात अनोल चटर्जी के गीत-संगीत पर झूम उठे दर्शक
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