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Saturday, September 21, 2024
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द कश्मीर फाइल्स देख हरीश रावत को याद आया मुजफ्फरनगर कांड,फेसबुक पोस्ट पर कही ये बात

देहरादून : द कश्मीर फाइल्स फिल्म जो आजकल चर्चाओ में है इसे लेकर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा है कि 1990 में कश्मीर में बर्बरतापूर्ण अत्याचार हुआ। जिस तरीके से कश्मीरी पंडितों को मारा गया, नरसंहार हुआ, महिलाओं पर अत्याचार हुए, उनको अपने घर-गांव, अपनी उस मातृभूमि को छोड़ना पड़ा, उसकी यादें आज भी उनके जेहन में है। उन्होंने कहा कि इसी तरह का अत्याचार उत्तराखंड के लोगों ने भी मुजफ्फरनगर में झेला।

हरीश रावत ने फेसबुक पोस्ट शेयर करते हुए कहा कि कहीं न कहीं आतंकवाद का जो नया स्वरूप कश्मीर में देखने को मिला है, उसको समझने में चूक हुई है। हम उत्तराखंड के लोगों ने भी मुजफ्फरनगर में इसी तरीके का अत्याचार झेला है, जब सत्ता ही हम पर टूट पड़ी थी। उत्तराखंड को राज्य मिला और हमने उस दर्द को अपनी छाती में सजो लिया और आगे की तरफ देखा।

कश्मीर में भी आगे की तरफ देखने की आवश्यकता है और उसके लिए आवश्यक है कि आतंकवाद के खात्मे के लिए पूरी राष्ट्रीय शक्ति लगाई जाए। जहां भी ये आतंकवाद पनप रहा है, वहीं उसको नष्ट किया जाए। यदि भारतीय पराक्रम बंगला स्वाभिमान की रक्षा के लिए एक नया इतिहास बना सकता है तो यहां भी आतंकवाद रूपी कायरता को समाप्त करने के लिए इतिहास बनाने में हमको संकोच नहीं करना चाहिए।

इतिहास सबक लेने के लिए भी होता है सिर्फ दोष देने के लिए नही: हरीश रावत

हरीश रावत ने अपनी पोस्ट में लिखा कि हम सब साथ हैं, पूरा देश साथ रहेगा। आज कश्मीरी पंडितों को शाब्दिक सांत्वना की आवश्यकता नहीं है, बल्कि हमको चाहिए कि हम एक संकल्पपूर्ण तरीके से कश्मीरी पंडितों को कश्मीर की घाटी में जहां वो थे, वहां बसाएं, उसके लिए भारतीय गणतंत्र की पूरी ताकत लगा दें। कुछ कदम सरकार ने उठाए हैं, एकाध कदम के विषय में हमारी समझ अलग हो सकती है, मगर उसके बावजूद कदम तो उठे हैं और देश ने साथ दिया है।

अभी यह काम बाकी है, कश्मीरी पंडितों को घाटी में बसाने का! साहस करिये और वहां उनको बसाइये। इतिहास दोष देने के लिए ही नहीं होता है, इतिहास सबक लेने के लिए भी होता है और मैं, देश के समस्त प्रबुद्ध वर्ग व बुद्धिजीवियों से प्रार्थना करना चाहूंगा हमारे भारतीय इतिहास के इस कलंकपूर्ण अध्याय की कटु स्मृतियों को भुलाने के लिए आवश्यक है कि वह आगे आएं और कश्मीर में सौहार्द का एक नया पृष्ठ शुरू करना ही जवाब है।

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